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श्री राजू शर्मा: तेज रफ्तार दुर्घटना के बाद नई जिंदगी

ग्वालियर शहर आई.टी.एम. हॉस्पिटल में, जहां लोगों की सेहत और सुख की देखभाल का महत्व समझा जाता हैं, अस्पताल का नाम ‘आई.टी.एम. हॉस्पिटल‘ है। येअस्पताल एक विशेष स्थल है, जहां व्यक्ति नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और स्नेह को महत्व दिया जाता है।


सुमावली, मुरैना (म.प्र.) जिलेके निवासी राजूशर्मा, जिनकी उम्र 19 वर्षहै, यह कोटा मेनीट की तैयारी कर रहेथे, यह अपने रूम सेदिनाक 29.03.2024 रात्रि 10:27 पर खाना खानेके लिए फ्लाई ओवर के नीचेपैदल जा रहेथे, तभी सामनेसेतेज रफ्तार सेकार सेदुर्घटना ग्रस्त हो गयेऔर मस्तिष्क मेचोट आ गई इनके परिजनों नेकोटा मेसुधा हॉस्पिटल मेएक दिन भर्ती कराया क्योंकि वहां पर भी देख-भाल अच्छेसेनहीं हो पा रही थी। इसके बाद इन्हेंमाधव डिस्पेनसरी ग्वालियर दि. 31.03.2024 को रात्री 1 बजेभर्ती कराया यहां पर भी मरीज को अच्छी देख-भाल और ईलाज नहीं हो पा रहा था, इनके परिजनों नेइनको 01/04/2024 को सांय 5 बजेआई.टी.एम. हॉस्पिटल मेंभर्ती कराया, क्योकि इनके परिजन कि जान पहचान डॉ. रजत दीक्षित सेपहलेसेथी। इसलिए डॉ. रजत दीक्षित द्वारा आई.टी.एम. हॉस्पिटल मेइनका ईलाज कराया गया। राजूशर्माके परिजनों द्वारा डॉ. रजत दीक्षित सेपरामर्शकरनेपर पता चला कि ना तो वह ठीक सेचल पा रहा, ना तो वह किसी को पहचान पा रहा, और ना ही वह खाना खा पा रहा, डॉ. के द्वारा चिकित्सा परिक्षण कर इनकी समस्या का पता लगाकर राजू शर्माका उच्च गुणवत्ता का ईलाज किया गया। उसके बाद राजूशर्माअच्छेसेपहचानने, चलने-फिरनेव खाना-पान अच्छेसेकरने लगे।


आई.टी.एम. हॉस्पिटल मेप्रबंधन द्वारा राजूशर्माको आई.टी.एम. हॉस्पिटल मेंअच्छी देखभाल,खान-पान और साफ सुथरा वातावरण एवं पौष्टिक आहार की अच्छी व्यवस्था मिली। मरीज को दवाइयों को नियमावली सेदेना और मरीज की समय-समय पर जांच कि व्यवस्था नेउनके इलाज मेंमदद की, डॉ. रजत दीक्षित नेराजूशर्माको संवेदनशील और सहयोगी उपचार दिया। और अब यह पूरी तरह स्वस्थ्य है।


आई.टी.एम. हॉस्पिटल के प्रबंधन का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करना चाहतेहै। जिनकी देख रेख मे राजूशर्माका ईलाज किया गया, अब वह स्वस्थ्य है। और वह चाहतेहैकि आई.टी.एम. हॉस्पिटल मेज्यादा सेज्यादा लोग आकर अपना ईलाज करबाये, जिससेउन्हेआई.टी.एम. हॉस्पिटल का लाभ मिल सके, आई.टी.एम. हॉस्पिटल का ईलाज अच्छा है।


्नेहशीर्षआई.टी.एम. हॉस्पिटल की अच्छी व्यवस्था नेसिर्फ रोगीयों की भलाई नहीं की, बल्कि उसनेउन्हेंएक परिवार की भावना सेघेरा। जिसमेंएक अस्पताल नेसिर्फ इलाज नहीं किया, बल्कि रोगियों के दिल को भी छुआ।