दीपेरा कैलारस के निवासी आकाश शाक्य जिनकी उम्र 31 वर्ष है। वह अपने काम पर से कारीगरी करके अपने घर पर आ रहे थे। तभी यह रोड दुर्घटनाग्रस्त हो गए। वहीं पास एक होटल था वहां पर लोगों ने उनके मोबाइल में से उनके परिजनों को फोन लगाया ।फिर इन्हें तुरंत प्राइवेट में इलाज कराया गया। पर वहां पर ऑपरेशन के पैसे लगने के कारण वहां इलाज नहीं करा पाए। फिर इन्हें आईटीएम हॉस्पिटल की जानकारी उनकी बेटी के जेठ से हुई जो कि दिल्ली के रहने वाले हैं इन्हें तुरंत फिर ग्वालियर के आईटीएम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर रजत ने इनका चिकित्सा परीक्षण कर इनके दिमाग में खून जम गया था
जिसके लिए मरीज का ऑपरेशन हुआ। और मस्तिष्क का खून निकल गया और मस्तिष्क की हड्डी काटकर पेट में रख दी गई। और मरीज करीब 8 दिन वेंटिलेटर पर रहा और फिर वेंटिलेटर से निकल गया और मरीज को होश आ गया और मरीज को स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज कर दिया गया ।फिर दो महीने बाद मरीज को दोबारा भर्ती करके ऑपरेशन द्वारा उसके पेट से मस्तिष्क की हड्डी निकालकर दोबारा मस्तिष्क में लगा दी गई। और ऑपरेशन के चार दिन बाद मरीज की छुट्टी कर दी गई और अब मरीज पूर्ण तरह स्वस्थ है
आई.टी.एम. हॉस्पिटल के प्रबंधन का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करना चाहते है। जिनकी देख रेख मे आकाश शाक्य का ईलाज किया गया, अब वह स्वस्थ्य है। और वह चाहते है कि आई.टी.एम. हॉस्पिटल मे ज्यादा से ज्यादा लोग आकर अपना ईलाज करवाए, जिससे उन्हें आई.टी.एम. हॉस्पिटल का लाभ मिल सके, आई.टी.एम. हॉस्पिटल का ईलाज अच्छा है।
अतः इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि सही सेवाओं और संवाद के माध्यम से समाज के एक-एक व्यक्ति के जीवन को किस प्रकार सुधारा जा सकता है। आई.टी.एम. अस्पताल के प्रबंधन के लिए हमारी प्रशंसा है, जिन्होंने एक उत्कृष्ट और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान की।

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